नितिन राजीव सिन्हा
नरेंद्र मोदी ने कल मनोरम समुद्र तट पर कचरा बीन कर समंदर की लहरों का मन जीत लिया लहरें बार बार आ रहीं थीं मोदी जी के पाँव से टकरा रही थी और उनके पाँवों को ठंडक पहुँचा रहीं थी पसीने से तर बतर हुए प्रधान सेवक की हौसला अफ़्जाई कर रहीं थीं..,
वैसे,एक पुरानी कहावत यहाँ चरितार्थ हुई है कि मोदी जब कचरा बीन रहे थे तब वहाँ कचरा फैलाने वाला कोई नहीं दिख रहा था अकेले नरेंद्र मोदी थे उनका झोला था और बिखरा हुआ कचरा था समंदर का किनारा था कैमरे का अफ़साना था..,
यदि कुछ इंसा होते तो प्रधान सेवक की मेहनत रंग लाती लोग अपने कचरे उन्हें देते जाते और वे,उन्हें समेटकर आगे बढ़ते जाते..,
लिखना होगा कि-
कचरे बोल नहीं
सकते,सुन नहीं
सकते ख़ुद
तो दिखते हैं
पर,लोगों को
अपनी नज़रों से
देख नहीं
पाते..,वो,मन
की बात सुन
नहीं सकते..,