सूजन कबिराज
कांकेर। कांकेर के वरिष्ठ अधिकारी ई.ई. डी. राम तथा कलेक्टर के.एल. चैहान के मध्य 30 सितम्बर से चल रहे अप्रिय विवाद में उस समय एक नया मोड़ आ गया जब जिले के सर्व समाज आदिवासी संघ ने आदिवासी अधिकारी डी.राम के पक्ष में अपना समर्थन देने से इंकार कर दिया है और इसे प्रशासन के पाले में डालते हुए कह दिया है कि ये अधिकारियों का आपस का विवाद है, इसे वे ही सुलझायें, सर्व आदिवासी समाज बीच में नहीं पड़ेगा।
ज्ञातव्य है कि तमाम आदिवासियों का समर्थन मिल जाने से जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति बुरी तरह बिगड़ सकती थी और मामला बहुत बड़ा होकर प्रदेश व्यापी बन सकता था। इधर डी. राम साहब के बारे में कलेक्टर तथा कुछ अन्य अधिकारियों का कथन है कि वे लापरवाह किस्म के अधिकारी हैं और मंत्रियों के कार्यक्रम में जब भी उन्होंने इंतजाम किया है उसमें गड़बड़ी जरूर हुई है । एक बार उन्होंने मंत्रियों के लिए गंदी तथा खराब टूटी कुर्सियां लगवा दी थीं, जिन्हें आनन-फानन में दूसरे अधिकारी ने बदलावा दिया। एक बार रेस्ट हाउस में मंत्रियों को ठहरा दिया और पानी का प्रबंध ही नहीं किया । फलस्वरूप वी.आई.पी. लोगों को नहाने धाने में बारह बज गए थे और फिर उन्होनें बत्ती देकर प्रशासन के बारह बजा दिये थे । अधिकतर अफसरों का कथन है कि कलेक्टर कई बार डी. राम साहब से परेशान हो चुके हैं । डी. राम अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए अचार संहिता का उल्लधंन कर रहे है और अधिकारी फेडरेशन को आन्दोलन करने के लिए मजबूर कर रहे है । अगर आदिवासी समाज उत्तेजित हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता यह सवालों के घेरो में है ?
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