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चंद्रशेखर से लेकर देव गौड़ा तक  तथा आई के गुजराल की सरकारों का केंद्र में पतन कांग्रेस की वजह से ही हुआ... देवगौड़ा परिवार से बदला ले रहे हैं सीतारमैया..? 

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बेंगलुरु से आज का दिन ब्यूरो व नई दिल्ली से रागिब् अली की रिपोर्ट

यह कोई पहला अवसर नहीं है जब कांग्रेस के सहयोग से चल रही सरकार पर तलवार लटक रही हो, कर्नाटक में जनता दल एस और कांग्रेस के सहयोग से वह कुछ निर्दलीयों के चलते कुमार स्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो उसी समय से इस बात की आशंका उठने लगी थी की कुमार स्वामी की सरकार ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाएगी फिलहाल भले ही कुमार स्वामी मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हो लेकिन अगले दो-तीन दिन में उनकी सरकार रहेगी या बचेगी  यह वह खुद नहीं जानते हैं उसकी वजह है यह है कि सहयोग दे रही है कांग्रेस पार्टी उनके मंत्रिमंडल में तो शामिल है लेकिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सीतारमैया नहीं चाहते हैं की कुमार स्वामी अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे, आज जो सुबे में हालात हैं उसके लिए जिम्मेदार केवल और केवल पूर्व मुख्यमंत्री सीतारमैया ही है. इसके पीछे की वजह कई हैं पहली वजह यह है कि किसी समय में सीतारमैया भी जनता दल सेकुलर में हुआ करते थे लेकिन एक दशक पूर्व उन्होंने देवगौड़ा का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे यहां यह बताना उचित होगा कि यह दौर उस समय का था जब भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में अपने पैर पसार रही थी और येदुरप्पा भाजपा के मुख्यमंत्री थे लेकिन किसी कारणों तथा घोटालों के चलते उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था, तथा कांग्रेस और देवगौड़ा परिवार को रोकने के लिए सीतारमैया को कांग्रेस में शामिल किया था और उन्हीं के नेतृत्व में इसके पूर्व विधानसभा का चुनाव लड़ा था बाद में कांग्रेस सत्ता में आई। और सीतारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने लेकिन सीतारमैया देवगौड़ा परिवार से अपनी पुरानी सियासी दुश्मनी को नहीं भुला पाए, यहां यह बता देना उचित होगा कि सीतारमैया एवं सीएम इब्राहिम जैसे लोग एच डी देवगौड़ा के खासम खास लोगों में हुआ करते थे लेकिन जब एचडी देवगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सीतारमैया की बजाए सीएम इब्राहिम को ज्यादा महत्व दिया तथा जब तक एचडी देवगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री रहे वे देव गौड़ा के खासम खास लोगों में गिने जाते थे आज सीतारमैया उसी का पुराना बदला ले रहे हैं। अगर सीतारमैया चाहते तो एचडी कुमार स्वामी कि सरकार को कोई खतरा नहीं होता उसकी एक वजह यह भी है. भाजपा को रोकने के लिए जनता दल सेकुलर की कम सीटें होने के बावजूद भी कांग्रेस में कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनवाने में आगे रही जबकि सीतारमैया को  उम्मीद थी कि कांग्रेस हाईकमान कांग्रेस की सीटें ज्यादा होने के चलते उन्हें ही दोबारा मुख्यमंत्री बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया बाहर से भले ही पूर्व मुख्यमंत्री यह बात बार-बार कह रहे हो की वर्तमान साझा सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन सच्चाई यह नहीं है बल्कि कांग्रेस के जिन 14 विधायकों ने कुमार स्वामी सरकार के खिलाफ झंडा बुलंद किया है सब सीतारमैया के इशारे पर ही किया गया है. कहा तो यह भी जा रहा है भाजपा के एक मजबूत नेता से सीतारमैया के प्रगाढ़ संबंध हैं इसी का फायदा भारतीय जनता पार्टी उठाना चाहती है।
दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि अगर कुमार स्वामी अगले एक-दो दिन में कर्नाटक विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत नहीं सिद्ध कर पाते हैं तो वह प्रदेश में गवर्नर राज के लिए वह विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर सकते हैं यह सब कैबिनेट में मंजूरी के बाद होगा आगे की रणनीति क्या बनती है यह तो समय ही बताएगा लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा यह बात कई बार दबे मुँह कह चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी पर कभी भी पूरी तौर पर विश्वास नहीं किया जा सकता है यहां इस बात को बताना उचित होगा कांग्रेस पार्टी का यह इतिहास रहा है कि जब जब कभी उसने किसी भी दल को बाहर से या अंदर से सहयोग किया वह सरकारें केंद्र और राज्य में ज्यादा दिन तक टिकी नहीं रह पाई और अपना कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रही, चंद्रशेखर से लेकर देव गौड़ा तक  तथा आई के गुजराल की सरकारों का केंद्र में पतन कांग्रेस की वजह से ही हुआ था कांग्रेस पहले अपने दुश्मनों को गले लगाती है, खास कर जब उन्हें लगता है की उनका स्वार्थ सिद्ध होने वाला नहीं है, उनको किसी ना किसी बहाने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाती है कर्नाटक में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है पूर्व में भी कांग्रेस में कई राज्यों की सरकारों को भी संविधान को दरकिनार कर बाहर का रास्ता दिखाया इतिहास इस बात का गवाह है कई राज्यों में जानबूझकर के कांग्रेस पार्टी ने केंद्र में अपनी ताकत के बलबूते पर चुनी हुई सरकारों को भंग कर जबरदस्ती गवर्नल रूल कायम किया है चाहे वह मामला बाबरी मस्जिद के पूर्व का हो  या फिर बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद का भाजपा शासित 4 राज्यों के सरकारों को ध्वस्त करने का मामला कांग्रेस के इसी अधिनायकवाद में आज उसकी पार्टी की यह दुर्दशा हो रही है यह वही कर्नाटक राज्य है जहां पर देवराज अर्श एवं एस बंगारप्पा जैसे लोग रहे हैं लेकिन कांग्रेस में वर्तमान में ऐसा कोई नेता नहीं है जो कर्नाटक में पुरानी प्रतिष्ठा को वापस ला सके आज प्रदेश में कांग्रेस की कमान जिन लोगों के हाथ में है वे आयातित लोग हैं और वहीं आयातित लोग कांग्रेस पार्टी को ध्वस्त करने में लगे हैं केंद्र से लेकर राज्यों में यही हाल है अगर वास्तव में कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में अपनी साझा सरकार बचाना चाहती तो सीतारमैया जैसे लोगों को भले ही बाहर का रास्ता ना दिखाती लेकिन उन पर लगाम तो लगाई जा सकती थी लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने ऐसा कुछ नहीं किया जब तक वह अपनी सरकार बचा पाते वहां का सारा मामला गर्त में चला गया और भाजपा को फिर से सरकार बनाने का मौका मिलता नजर आ रहा है ताज्जुब की बात है की जिस भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी ने जनता दल से हाथ मिलाया था और उसी कांग्रेस के कुछ नेता राज्य में भाजपा के गोद में बैठने को तैयार हैं इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता कर्नाटक में क्या क्या गुल खिला रहे हैं आज नहीं तो कल इन सारी बातों का खुलासा हो जाएगा।

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