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अपने हज़ारों समर्थकों के बीच अपने सरज़मी पर इंग्लैंड के पास पहली बार विश्व विजेता बनने का शानदार मौका था।

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कुलदीप कुमार निष्पक्ष

फाइनल में पहुँचने वाली ये दोनों टीमों के साथ लीग में स्थिति ये थी कि कब कौन बाहर हो जाए। फिर दोनों टीमों के साथ भाग्य का खेल हुआ। भारत, पाकिस्तान को बाहर करने के चक्कर में इंग्लैंड के हाथ में एक जीत सौप दिया। इंग्लैंड को संजीवनी मिली। और उसका सेमीफाइनल तय हुआ।

न्यूज़ीलैंड से अच्छा क्रिकेट पाकिस्तान ने खेला था। लीग मुक़ाबले में न्यूजीलैंड को धूल भी चटाया। मामला रन रेट पर आकर ख़त्म हुआ। न्यूज़ीलैंड का रनरेट पाकिस्तान से अच्छा था और वो सेमीफाइनल में। पुराने नियम के हिसाब से अगर देखा जाय तो लीग में जो टीम जिस टीम से जीती होती है पॉइन्ट बराबर होने पर जीती टीम को नॉकआउट में भेजा जाता था।

न्यूज़ीलैंड सेमीफाइनल से पहले अपने अंतिम तीन मैच बुरी तरह हार गई थी। मुक़ाबला भारत से हुआ सेमीफाइनल में। कीवी टीम भारतीय गेंदबाजी के आगे मात्र 239 रन बनाई। पहले दिन पहली पारी के साढ़े चार ओवर बचे थे तभी बारिश होने लगी जो उस पुरे दिन हुई। अगले दिन भारतीय टीम को बैटिंग करनी थी। और मौसम न्यूज़ीलैंड के गेंदबाजों के अनुकूल था। जिसका लाभ उनको मिला। और मार्टिन गप्टिल के एक थ्रो ने उनको सेमीफाइनल में जीत दिलाई और टीम फाइनल में पहुंची।

दूसरी तरफ इंग्लैंड कभी सेमीफाइनल ना हारने वाली ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में पहुंचा।

  1. अपने हज़ारों समर्थकों के बीच अपने सरज़मी पर इंग्लैंड के पास पहली बार विश्व विजेता बनने का शानदार मौका था।

पिच का फायदा उठाते हुए इंग्लैंड ने अच्छी गेंदबाजी की। गप्टिल जल्दी आउट हुए तो निकल्स ने मोर्चा संभाला और अच्छी स्ट्राइक के साथ टीम के स्कोर बोर्ड को गतिशील रखा। लेकिन विकेट नियमित अंतराल पर कीवी खोतें रहें। डेथ ओवर में और खासकर के अंतिम पांच ओवर में कीवी बल्लेबाज़ ग्रैंडहोम और लेथम ने तेजी से रन बनाने की कोशिश ही नहीं की। और अंतिम 5 ओवर में बल्ले से मात्र एक चौका आया वो भी गेंदबाज मैट हेनरी के।

दूसरी तरफ इंग्लैण्ड की भी शुरुवात मिली जुली रही। लेकिन एक समय 100 के अंदर 4 वीकेट गंवा देने के बाद इंग्लैण्ड मुसीबत में नज़र आई। लेकिन जोंस बटलर ने तेज 60 गेंद पर 59 की पारी खेलकर टीम को मुसीबत से निकाला साथ ही जरुरी रनरेट को भी बढ़ने नहीं दिया। लेकिन बटलर के आउट होते ही टीम मुश्किल में नज़र आयी। और फिर शुरू हुआ लक का खेल।

पहले बेन का एक कैच पकड़कर बोल्ट बाउंड्री रोप से टकरा गये। फिर अंतिम ओवर में एक थ्रो बेन के बल्ले को छूकर बाउंड्री के पार चली गयी। जहाँ 2 रन था वहां 6 रन मिले। और फिर अंतिम गेंद पर इंग्लिश बल्लेबाज का रनआउट होना। और विश्वकप के इतिहास में पहली बार फाइनल टाई हुआ।

सुपर ओवर में इंग्लैंड की संकटमोचन जोड़ी बेन-बटलर ने बोल्ट के ओवर में 15 रन जोड़ें।

और फिर आर्चर का सामना करने आये कीवी बल्लेबाज नीशम-गप्टिल ने शुरू के 4 गेंद तक जीत अपने मुठ्ठी में रखा लेकिन अंतिम गेंद पर 2 रन जब चाहिए तब एक रन पूरा करके दूसरे रन लेते समय रनआउट कराकर इस बार इंग्लैंड ने मैच टाई कराया।

लेकिन नियमो के अनुसार जो टीम मैच में ज्यादा बाउंड्री लगाई रहेगी उसे विजेता माना जायेगा। इस अनुसार इंग्लिश टीम विश्व विजेता बनी।

लेकिन फाइनल का रोमांच जरूर अंतिम गेंद तक देखा और महसूस किया गया। इतना बेहतरीन मैच खेलने के लिए दोनों टीमों को बधाई। बाकी अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान !

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