जांजगीर।'स्वतंत्रता के पहले 'चांद' के फांसी अंक की जो ताकत थी वह आजादी के बाद आठ सालों के संघर्ष के बाद लिखी हरीश पाठक की इस किताब 'आंचलिक अखबारों की राष्ट्रीय पत्रकारिता' की होगी।इस 616 पेज की किताब में आज के छत्तीसगढ़ की आसिफ इकबाल की 'याज' ओर शंकर गुहा नियोगी की हत्या की वे खबरें हैं जो आँचलिक अखबारों में छपीं और देश सदमे में आ गया।यह किताब स्वतन्त्रता के बाद कि गीता है।'
यह विचार दिग्गज पत्रकार राजेश बादल ने जांजगीर के होटल ड्रीम पॉइंट में आयोजित सक्रिय पत्रकार संघ द्वारा आयोजित प्रादेशिक सम्मेलन,किताब पर आयोजित विमर्श और अलंकरण समरोह में व्यक्त किये।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार व 'दुनिया इन दिनोँ' के प्रधान संपादक सुधीर सक्सेना ने कहा,'खतरों से भरी है आंचलिक पत्रकारिता' और गिरीश पंकज ने कहा'अध्ययन को आधार बनाएं आंचलिक पत्रकार'।
अपने विचार रखते हुए हरीश पाठक ने कहा'मुन्नीबाई बन गयी है राष्ट्रीय पत्रकारिता,हीरे की तरह चमक रही है आंचलिक पत्रकारिता।चमकी में भी चमके हैं आंचलिक अखबार।'
प्रदेश के इस वार्षिक और बड़े आयोजन को सतीश जायसवाल,राधाबल्लभ शारदा, पीठाधीश मिश्र आदि ने सम्बोधित किया।इस मौके पर प्रियंका कौशल को प्रथम गणेशशंकर विद्यार्थी सम्मान और नाहिदा कुरैशी सहित प्रदेश के दो दर्जन सक्रिय पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
इस आयोजन के संयोजक थे राज गोस्वामी और चंकी तिवारी।