नई दिल्ली से आलोक मोहन, कोलकाता से नाजिम अहमद, तथा लखनऊ से आर एस पांडे
गोवा और महाराष्ट्र में कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में लेने में कामयाब रही भारतीय जनता पार्टी की निगाह अब कांग्रेस व टी एम सी के कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के राज्यसभा व लोकसभा के कुछ सासदों को भाजपा में लाने की तैयारी चल रही है ऐसे सांसदों की संख्या दो दर्जन से ज्यादा हो सकती है।
aajkadinnews.com को मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस, टी एम सी व समाजवादी पार्टी के अलावा कुछ अन्य दलों के राज्यसभा सांसदों के साथ साथ लोकसभा के भी कुछ सासंद भजापा हाईकमान के संपर्क में बताए जाते हैं।
ये वे सासंद है जिनको लगता है कि कांग्रेस, टी एम सी व सपा के साथ रहकर उनका राजनीतिक भविष्य गर्त में चला जायेगा, ऐसी नौबत आने से पहले ऐसे सांसद भाजपा में छलांग लगाने को तैयार बैठे हैं इनमें सर्वाधिक संख्या कांग्रेस व टीएमसी कि सांसदों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है, मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के कई पुराने तथा लोकसभा व राज्यसभा में अहम भूमिका निभाने वाले सांसद भी शामिल हुए बताए जाते हैं जबकि टीएमसी के राज्यसभा के सांसदों की संख्या पांच से सात के बीच में हो सकती है हकीकत क्या है यह तो समय ही बताएगा लेकिन भारतीय जनता पार्टी के हाईकमान ने कांग्रेस व टीएमसी के हाईकमान पर भी कुछ चुनिंदा सांसदों पर अपनी सेंध लगाने शुरू कर दी है इनमें वे सांसद ज्यादा हैं जो पूर्व की सरकार में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं इसके चलते ऐसे कांग्रेस के नेताओं पर तमाम तरह के पूर्व और वर्तमान में लांछन लग चुके हैं ताज्जुब की बात यह है इनमें वे राज्यसभा सांसद ज्यादा बताये जा रहे हैं जो अपने आप को नेहरू गांधी परिवार का नजदीक होने का दावा तो करते ही हैं साथ ही गत लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में उनके नाम अपने चहेतों को भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा कर अप्रत्यक्ष रूप से जहां कांग्रेस को कमजोर किया तो दूसरी तरफ बीजेपी को मजबूत कर अपना राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध किया परिणाम स्वरूप कई ऐसी सीटों पर जहां कांग्रेस और टीएमसी का पलड़ा भारी था वहां पर भाजपा को भारी कामयाबी मिली, कहा जाता है लोकसभा चुनाव के पूर्व ही इस तरह की रणनीति बना ली गई थी, की कंहा किस तरह से किसको कैसे मात देनी है और विपक्ष के उम्मीदवार को कैसे चुनाव जितवाना है, बताया तो ये भी जाता है कि बदले में ऐसे लोगों को केंद्र में सत्तारूढ़ दल की तरफ से तमाम तरह का लाभ पहुंचाने वाला सहयोग भी किया गया इसका सिलसिला अनवरत आज भी जारी है इनमें वे लोग ज्यादा है जो पार्लियामेंट में सत्तापक्ष के खिलाफ बोलने में सबसे आगे रहते हैं लेकिन पर्दे के पीछे रहकर भजापा के हितैषी बताए जाते हैं।ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि हाल में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के लड़के नीरज शेखर समाजवादी पार्टी तथा राज्यसभा से स्तीफा देकर जिस तरह से तुरंत फ़ुरत भजापा में शामिल हुए, उसे इसे परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। जानकारी के मुताबिक भाजपा के राडार पर उक्त दलों के कई और सासंद है, इनमे पर डोरे डाले जा रहें हैं या फिर वे स्वंय भजापा में आना चाहते हैं,भजापा की कोशिश है कि पूरे देश मे परम्परागत कांग्रेस के वर्चस्व ख़तम किया जाए।गोवा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में जिस तरह से सियासी घमासान मचा हुआ है उसे भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। बेलगाम हो चुकी कांग्रेस व टीएमसी के कई बड़े नेता भजापा में आने के लिए आतुर बताए जा रहे हैं। देखना ये है की बची खुची कांग्रेस व टीएमसी बच पाती है कि नही, लेकिन इतना तय है राहुल गांधी के सतीफ़े के बाद अधर में लटकी कांग्रेस के कई नेताओं को अपने भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है, इसके चलते कांग्रेस, टीएमसी व सपा में कभी भी बड़ी टूट हो सकती है..?