सुनील कुमार गुप्ता
प्रेम ना तो वर्जना है
और ना ही आत्म-नियंत्रण
ना है मर्यादा का उल्लंघन
ना सिर्फ खूबसूरत अहसास
और ना ही जिस्म की प्यास
प्रेम तो एक संभावना है
एक उम्मीद है
एक भरोसा और
एक विश्वास है
कि जीवन कभी मरेगा नही ।
प्रेम मरने नही देगा इसे :
जीवित रखेगा अहसास को
जिस्म की प्यास को
सुकून की तलाश को ।।